फिल्मों के मामले में हर फिल्मकार की अपनी एक अलग पसंद होती है। भले ही वह फिल्में विविध विषयों पर बनाएं, लेकिन अपने पसंदीदा फिल्में बनाने में वह ज्यादा सहज होते हैं और उन्हें इस काम में मजा भी आता है।मेरे डैड की मारुति और मिसेज चटर्जी वर्सेज नार्वे की निर्देशक आशिमा छिब्बर को राष्ट्रवाद पर आधारित फिल्में ज्यादा पसंद हैं। इस साल के शुरुआत में प्रदर्शित रानी मुखर्जी अभिनीत फिल्म मिसेज चटर्जी वर्सेस नार्वे के बाद अभी तक आसिमा की अगली फिल्म की घोषणा नहीं हुई है।
फिलहाल इंतजार है…
अगली फिल्म को लेकर बातचीत में आशिमा बताती हैं, ‘फिलहाल तो मैं इंतजार कर रही हूं, देख रही हूं कि आगे किस तरह की स्क्रिप्ट्स आएंगी। मिसेज चटर्जी वर्सेज नार्वे के बाद मैंने थोड़ा ब्रेक भी लिया, क्योंकि उसमें मैं मानसिक तौर पर बहुत थक गई थी। आगे मैं कुछ हल्का-फुल्का करना चाहती हूं। मुझे राष्ट्रवाद और राष्ट्र प्रेम से संबंधित फिल्में ज्यादा अच्छी लगती हैं। आगे शायद उसी दिशा में आगे बढूंगी।’
कोई भी मूवी बना सकता है, कोई नियम तय नहीं
आशिमा दिशा पटनी और विजय राज अभिनीत फिल्म केटीना का भी निर्देशन कर रही थी। लेकिन कुछ हिस्सों की शूटिंग के बाद वह फिल्म ठंडे बस्ते में चली गई। इस बारे में वह बताती हैं कि कभी-कभी जब आप फिल्म बना रहे होते हैं तो पता चलता है कि कुछ चीजें उसमें सही काम नहीं कर रही हैं। शूटिंग शुरू करने से पहले आपको उन सारी चीजों के बीच संतुलन बनाना पड़ता है। आगे देखते हैं उस फिल्म का क्या होता है। कोई भी फिल्म कभी भी बन सकती है। इंडस्ट्री में कोई तय नियम नहीं होता है, सब समय पर निर्भर करता है।