भाजपा ने अगले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हिंदी पट्टी के तीन बड़े राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में शानदार जीत के साथ लोक सभा 2024 के महासंग्राम के लिए अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया है। वहीं, उत्तर भारत के राज्यों में करारी शिकस्त से मायूस कांग्रेस को दक्षिणी राज्य तेलंगाना में जीत का एकमात्र सहारा मिला है, जहां पार्टी ने के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति के 10 वर्षों के शासन का अंत कर दिया है।
छत्तीसगढ़ में दो तिहाई बहुमत से सत्ता में वापसी
चुनावी अनुमानों से आगे निकलते हुए भाजपा ने राजस्थान में रिवाज नहीं बदलने दिया और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादूगरी कांग्रेस को करारी पराजय से नहीं बचा पाई। लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे इन चुनावों के नतीजों ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस ही नहीं, उसकी अगुआई वाले विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए के लिए फाइनल की राह बेहद चुनौतीपूर्ण है। उसे जनता की नब्ज पकड़ने के लिए अपनी रीति-नीति के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का विकल्प तलाशने के लिए अभी भारी मशक्कत करनी पड़ेगी।
भाजपा के लिए हिंदी पट्टी के तीन अहम राज्यों में जीत इस लिहाज से भी बड़ी है कि इसमें राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसने कांग्रेस से सत्ता छीन ली है। वहीं, मध्य प्रदेश में कमल नाथ चौतरफा खिले कमल की आंधी को भांप नहीं पाए और भाजपा ने 230 सदस्यीय विधानसभा में 163 सीटें हासिल कर कांग्रेस की लुटिया डूबो दी।
साल 2018 के चुनाव में भाजपा को परास्त करने वाली कांग्रेस इस बार अपनी सीटों का आंकड़ा 66 से आगे नहीं बढ़ा पाई। भाजपा ने 199 सीटों पर हुए चुनाव में 115 सीटें हासिल कर आसानी से पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया, कांग्रेस 69 सीटों पर ही सिमटकर रह गई। सस्ते रसोई गैस सिलेंडर, महंगाई राहत किट से लेकर चिरंजीवी हेल्थ स्कीम, ओल्ड पेंशन स्कीम और मुफ्त बिजली के वादे भी गहलोत को हार से नहीं बचा पाए।
पीएम मोदी गारंटी पर तीनों राज्यों के मतदाताओं ने जताया भरोसा
इसकी तुलना में भाजपा के कुछ ऐसे ही मिलते-जुलते वादों को लेकर पीएम मोदी की गारंटी पर तीनों राज्यों के मतदाताओं ने ज्यादा भरोसा जताया। मोदी की लोकप्रियता, महिला वोटरों के अधिक समर्थन, भाजपा की संगठनात्मक और अंतिम समय तक हार नहीं मानने की रणनीति के दम पर भाजपा ने तीनों राज्यों में कांग्रेस के अति आत्मविश्वास को ध्वस्त कर दिया।
12 राज्यों में भाजपा की सरकार
छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस की पूरे उत्तर भारत में अब केवल हिमाचल प्रदेश में सरकार है। जबकि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा को मिलाकर अब हिंदी पट्टी के छह राज्यों समेत कुल 12 राज्यों में भाजपा की सरकार है। जबकि कांग्रेस की अपने दम पर केवल तीन राज्यों कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में सरकार होगी।
तेलंगाना की शानदार जीत ने कांग्रेस को राहत तो दी, मगर तीन राज्यों की हार ने इस कामयाबी का जश्न मनाने के मौके से महरूम कर दिया। कांग्रेस ने अपने चुनावी नैरेटिव और स्थानीय चेहरे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ए. रेवंत रेड्डी की लोकप्रियता के दम पर तेलंगाना में केसीआर की अगुआई वाले बीआरएस के लगातार तीसरी पारी के सपनों को चकनाचूर कर स्पष्ट बहुमत से सत्ता हासिल कर ली।
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