हाल ही में सम्पन्न हुए चार राज्यों में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश व राजस्थान में भाजपा ने शानदार जीत हासिल की है। तेलंगाना में कांग्रेस अपनी लाज बचाने में कामयाब रही है। तीन राज्यों की जीत में हिमाचल के भाजपा ने अहम भूमिका निभाई है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर सहित प्रदेश भाजपा के कई नेता इन राज्यों में प्रचार के लिए गए थे।
कांग्रेस ने इन राज्यों में जो गारंटियां जनता को दी थीं, प्रदेश भाजपा के नेताओं ने उनको भ्रामक बताया और हिमाचल में गारंटियां पूरी नहीं करने का प्रचार किया। यह जीत भाजपा कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव में ऊर्जा देगी तो हार से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा है। यदि इन चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा होता तो मिशन-2024 के लिए उसको और मजबूती मिलती।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका है। प्रदेश में सत्ता में बैठी कांग्रेस को चार सीटों के लिए अपनी रणनीति बदलनी होगी। संगठन में विरोध को शांत करने के साथ ही जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ को मजबूत बनाना होगा।
हिमाचल में लोकसभा की चार सीटें हैं। 2014 व 2019 के चुनाव में कांग्रेस सभी सीटें हार गई थी। हालांकि, 2022 में मंडी संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। इसके बाद विधानसभा चुनाव हुए और कांग्रेस ने जीत हासिल की। सत्ता में आने के एक साल बाद भी बोर्ड व निगमों में पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की ताजपोशी न होने, मंत्रिमंडल में कुछ जिलों की नाराजगी जैसे कई मामले हैं, जिससे कार्यकर्ता नाराज हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को हाईकमान ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारक बनाया था। स्वास्थ्य खराब होने की वजह से सुक्खू प्रचार को नहीं जा पाए थे। मंत्रियों की ड्यूटी भी प्रचार के लिए नहीं लगी थी। हालांकि, संगठन से कई नेता प्रचार के लिए मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान गए थे। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हिमाचल चुनाव में अहम भूमिका निभाई थी। कांग्रेस ने जो 10 गारंटियां दी थी व घोषणापत्र में किए कई वादों में छत्तीसगढ़ का मॉडल फॉलो किया था। गोबर खरीद की गांरटी बघेल ने ही दी थी।