E-Com:’डार्क पैटर्न’ मार्केटिंग स्टाइल लगा बैन,एक्स्ट्रा डिस्काउंट का नहीं दे पाएंगे लालच

क्रिसमस और न्यू ईयर के मौके पर खरीदारी करने के लिए क्या आपने भी अपनी शॉपिंग लिस्ट तैयार कर ली है।अगर हां, तो बता दे की इस बार आप ठगी या नुकसान का शिकार नहीं होंगे।जी हां,ई-कॉमर्स कंपनियां कई बार ग्राहकों को लुभाने के लिए ऐसी मार्केटिंग टैक्टिस अपनाती हैं जो अंत आपको ही चूना लगा देती हैं।लेकिन अब कंपनियों के इस ‘डार्क पैटर्न’ वाले मार्केटिंग के तरीके पर सरकार ने बैन लगा दिया है।

क्या आपको भी कभी ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से एक्स्ट्रा डिस्काउंट या वॉलेट में पैसा डालने वाले मैसेज आते हैं।कंपनियां अक्सर इसके जरिए ग्राहकों को धोखा देने या उनकी पसंद को प्रभावित करने की कोशिश करती हैं। अब से ई-कॉमर्स कंपनियां ग्राहकों को इस तरह से झांसा नहीं दे पाएंगी।सरकार ने इस ‘डार्क पैटर्न’ मार्केटिंग स्टाइल को बैन कर दिया है,आइये अब जानते है क्या होता है ये ‘डार्क पैटर्न’?जैसे कई बार ग्राहकों के शॉपिंग कार्ट में कोई प्रोडक्ट खुद-ब-खुद जुड़ जाता है।कई बार लोगों को ऑर्डर करने से पहले प्रोडक्ट से जुड़े अन्य फीस या खर्चों के बारे में नहीं बताया जाता है।कई बार लोगों को ललचाने के लिए उनके वॉलेट में पैसे एड किए जाने का मैसेज भेजा जाता है।कई बार किसी खास प्रोडक्ट पर डिस्काउंट के लिए ‘सिर्फ एक घंटे का समय बचा है’ लिखा होता है।कई बार डिलीवरी के लिए मिनिमम ऑर्डर की लिमिट का सामना भी करना होता है।ये सभी डार्क पैटर्न मार्केटिंग के तौर-तरीके हैं।

इसके जरिए ई-कॉमर्स कंपनियां ग्राहकों का शोषण करती हैं,उन्हें ज्यादा खर्च करने के लिए मजबूर करती हैं।कई बार कुछ स्पेशल प्रोडक्ट को खास जगह देती हैं।ग्राहकों को गलत या बार-बार एक ही चीज का विज्ञापन दिखाया जाता है,वहीं अलग-अलग आईटम के हिसाब से एक ही ई-कॉमर्स साइट को कई हिस्सों में बांटकर भी कंपनियां ग्राहकों को लुभाने का काम करती हैं।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने इसी हफ्ते ‘डार्क पैटर्न रोकथाम एवं रेग्यूलेशन गाइडलाइसं’ को नोटिफाई किया है।इसी के साथ अब इन गाइडलाइंस को कानूनी मान्यता मिल गई है।ये गजट नोटिफिकेशन देश के अंदर सामान और सर्विस देने वाले सभी तरह के प्लेटफॉर्म पर लागू होंगे।वहीं स्टॉकिस्ट और एडवरटाइजर्स पर भी लागू होंगे।

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नए गाइडलाइंस के मुताबिक ‘डार्क पैटर्न’ का सहारा लेना ग्राहकों के अधिकारों का उल्लंघन होगा।इसे भ्रम फैलाने वाला एडवरटाइजमेंट और अनएथिकल प्रैक्टिस माना जाएगा।ऐसा करने पर उनके खिलाफ उपभोक्ता अधिकार के प्रावधानों के मुताबिक कार्रवाई होगी और जुर्माना लगाया जाएगा।उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने एजेंसी से कहा, ‘ई-कॉमर्स पर ग्राहकों को गुमराह करने के लिए डार्क पैटर्न का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है, इसलिए ये गाइडलाइंसा ज्यादा क्लियरिटी लाएंगी।

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