सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में फंसी जिंदगियों को बचाने के लिए बचाव कार्य में लगी हर एजेंसी ने हर हथकंडा अपनाते हुए श्रमिकों तक पहुंचने के लिए एक साथ सात विकल्पों पर एक साथ कार्य किया, जिससे किसी भी परिस्थिति में बचाव अभियान रुकने न पाए। हालांकि, बचाव कार्य में लगी एजेंसियों की नजर में शुरुआत से ही श्रमिकों तक पहुंचने के लिए सबसे सुरक्षित और तेज विकल्प मुख्य सुरंग के अंदर से भूस्खलन के मलबे को भेदकर निकास सुरंग बनाना था। यही वजह रही कि तमाम अवरोध आने के बावजूद इस कार्य में सबसे अधिक ताकत झोंकी गई।
हॉरिजांटल ड्रिलिंग
सुरंग के मुहाने की तरफ से की गई हारिजांटल ड्रिलिंग सर्वोच्च प्राथमिकता में रही। इस दिशा से स्टील पाइप डालकर निकास सुरंग बनाने के कार्य में तमाम उतार-चढ़ाव आए, लेकिन अंत में इसी सुरंग से जिंदगी बाहर निकली। यहां से सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए लगभग 57 मीटर सुरंग तैयार करनी पड़ी, लेकिन 50वें मीटर पर ड्रिलिंग के दौरान औगर मशीन के क्षतिग्रस्त होने से अभियान को बड़ा झटका लगा। ऐसे में रैट माइनर्स उम्मीद बने, जिन्होंने मोर्चे पर उतारे जाने के बाद महज 20 घंटे में ही लगभग 10 मीटर मलबे को भेदकर सुरंग तैयार कर दी। रैट माइनर्स मलबा हटाते गए और औगर मशीन पाइप को धकेलती गई।
वर्टिकल ड्रिलिंग
इस पर एसजेवीएनएल ने रविवार को काम शुरू किया। योजना के तहत सुरंग के ऊपर से 1.2 व्यास का पाइप ड्रिल कर 88 मीटर नीचे श्रमिकों तक पहुंचाया जाना था। इसमें से 42 मीटर खोदाई एसजेवीएनएल ने मंगलवार सुबह तक कर ली थी और इसी बीच खुशखबर आ गई।
बड़कोट छोर से सुरंग निर्माण
इस विकल्प पर भी बचाव एजेंसियां तेजी से काम कर रही थीं। टीएचडीसी को बड़कोट छोर से 383 मीटर लंबी माइक्रो सुरंग बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसमें 25 दिन लगने का अनुमान था। यहां से 12 मीटर सुरंग बनाई जा चुकी थी।
बड़कोट छोर से वर्टिकल ड्रिलिंग
इस विकल्प पर भी कार्य शुरू हो चुका था। इसके लिए बड़कोट छोर पर ड्रिलिंग करने का स्थान चिह्नित करने के बाद वहां तक मशीन पहुंचाने के लिए संपर्क मार्ग बनाया जा रहा था। सुरंग के दायें छोर से 180 मीटर हारिजांटल ड्रिलिंग कर फंसे श्रमिकों तक पहुंचने की रणनीति भी तैयार थी। आरवीएनएल ने इस कार्य के लिए स्थान चिह्नित कर उपकरण पहुंचा दिए थे। सोमवार को कंक्रीट बेस तैयार होने के बाद 28 नवंबर से ड्रिलिंग की जानी थी। इसके लिए 15 दिन का समय तय था।
ड्रिफ्ट टनल
इस योजना के अंतर्गत सुरंग के दायें छोर पर, जहां से मलबा शुरू हो रहा है, वहां से सेना की एक टीम नैनो जेसीबी से मलबे को हटाकर दो गुणा दो मीटर के फ्रेम लगाकर टनल बनाने में जुटी थी। अभी तक 15 से अधिक कंक्रीट के फ्रेम बनाए जा चुके थे। सुरंग के मुहाने के निकट पहाड़ी से एसजेवीएनएल द्वारा की जा रही वर्टिकल ड्रिलिंग के पास ही आरवीएनएल को लाइफ लाइन पाइप डालने के लिए ड्रिलिंग की जिम्मेदारी दी गई थी।
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