जानिए शेयर बाजार में हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट और शॉर्ट सेलिंग का क्या है फंडा ?

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर ‘दशकों से स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी’ में शामिल होने का आरोप लगा रही है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने दो साल की जांच के बाद अंत में यह निष्कर्ष निकाला था कि अडानी समूह भारी कर्ज में है और उसने दावा किया कि भले ही इसके निष्कर्षों पर लोगो ने सवाल उठाया हो, लेकिन अडानी समूह की 7 प्रमुख लिस्टेड कंपनियों में ‘आसमान छूते मूल्यांकन के कारण मौलिक आधार पर विशुद्ध रूप से 85 फीसदी की गिरावट आई थी। ’

हिंडनबर्ग रिसर्च में कहा गया है कि, ‘अडानी की प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों ने भी बहुत अधिक कर्ज लिया है, जिसमें कर्ज लेने के लिए अपने बढ़े हुए स्टॉऔर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं जो अनुमानित रूप से 17 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक है। अडानी परिवार के सदस्यों ने कथित तौर पर मॉरीशस, यूएई और कैरेबियन द्वीप समूह जैसे टैक्स-हेवन कहे जाने वाले देशों में शेल कंपनी बनाने में सहयोग किया, नकली या अवैध कारोबार शुरू करने के लिए लिस्टेड कंपनियों से पैसा निकालने के लिए जाली एक्सपोर्ट/इम्पोर्ट दस्तावेज तैयार किए।

हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा विवादास्पद रिपोर्ट जारी करने के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयर तेजी से गिरे। समूह की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर बुधवार को 1। 66 प्रतिशत गिरकर 3,385। 70 रुपये पर आ गया, जब हिंडनबर्ग रिसर्च ने खुलासा किया कि यह अडानी समूह की कंपनियों में शॉर्ट पोजिशन रखता है।क के शेयरों को गिरवी रखना शामिल है। इसने पूरे समूह को अनिश्चित वित्तीय स्थिति में डाल दिया है। समूह की 7 प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों में से 5 ने 1 से नीचे ‘वर्तमान अनुपात’ की सूचना दी है, जो निकट-अवधि के लिक्विडिटी प्रेशर का संकेत है। ’

हिंडनबर्ग रिसर्च क्या है?
हिंडनबर्ग रिसर्च न्यूयॉर्क की कंपनी है जो फॉरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च में माहिर है। वेबसाइट के अनुसार यह मुख्य रूप से एकाउंटिंग से जुड़ी अनियमितताओं, अवैध या अनैतिक व्यवहार, संबंधित पक्ष से अघोषित लेनदेन के अलावा अज्ञात विनियामक, उत्पाद, या वित्तीय मुद्दों को देखता है। इसकी स्थापना 2017 में नाथन एंडरसन ने की थी।

कंपनी की वेबसाइट दावा करती है, ‘हालांकि हम अपने निवेश निर्णय लेने में सहायता के लिए फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग करते हैं, लेकिन हम असामान्य स्रोतों से मुश्किल से मुश्किल ढूंढे जाने वाली जानकारी को उजागर करने के लिए सबसे प्रभावशाली रिसर्च रिजल्ट पर यकीन करते हैं।

शॉर्ट सेलिंग क्या है?
शॉर्ट सेलिंग एक ट्रेडिंग तकनीक है जो इस आधार पर बनाई गई है कि सिक्योरिटी यानी प्रतिभूति की कीमत में गिरावट आएगी। साफ तौर पर इसका मतलब है कि व्यापारी कम कीमत पर स्थिति को कवर करने की उम्मीद में ऐसा स्टॉक बेचता है, जिसका वह मालिक नहीं है।

इन्वेस्टोपेडिया के अनुसार, शॉर्ट सेलिंग के तहत स्टॉक या अन्य संपत्ति के शेयर उधार लेकर एक पोजीशन खोली जाती है और निवेशक को लगता है कि जिसका मूल्य गिर जाएगा। बाद में निवेशक इन उधार लिए गए शेयरों को उन खरीदारों को बेच देता है जो मार्किट रेट का भुगतान करने के लिए तैयार होते हैं।

ट्रेडर शर्त लगाते हैं कि कीमत में गिरावट जारी रहेगी और उधार लिए गए शेयरों को वापस करने से पहले वे कम कीमत पर शेयर खरीद सकेंगे। चूंकि किसी भी संपत्ति की कीमत बढ़ने की कोई लिमिट नहीं है, इसलिए निश्चित तौर शॉर्ट सेल पर नुकसान के जोखिम की कोई सीमा नहीं है।

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